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जीवनी/आत्मकथा >> वीर सावरकर

वीर सावरकर

भवान सिंह राणा

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :143
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3713
आईएसबीएन :81-288-0882-6

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भारत के अमर क्रान्तिकारी वीर सावरकर के जीवन के विषय में चर्चा....

Veer Savarkar

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


युगपुरुष वीर विनायक दामोदर सावरकर एक हिन्दुत्ववादी, राजनीतिक चिन्तक और स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। अपने इन विचारों को अभिव्यक्त करने में उन्होंने कभी किसी प्रकार का संकोच नहीं किया।

वह अपने प्रारम्भिक विद्यार्थी जीवन से ही स्वाधीन भारत के स्वप्न देखने लगे थे। उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन जाने पर भी स्वाधीन भारत की इच्छा उन्हें क्रांतिकारियों के सम्पर्क में ले गई। क्रान्तिकारी गतिविधियों में भाग लेने पर बन्दी बनाकर भारत लाये गये। मार्ग में जहाज से समुद्र में कूद पड़ना उनकी अदम्य इच्छाशक्ति तथा उत्कट देशप्रेम का परिचायक है।

भारत में जीवन पर्यन्त कठोर कारावास का का दण्ड मिलने पर काला पानी भेजे गये, किन्तु काले पानी की नारकीय यन्त्रणाएं भी उनहें अपने लक्ष्य से विचलित नहीं कर सकीं।

भारत स्वतंत्र हुआ किन्तु उसके दो भाग कर दिये गये, अतः इस स्वतंत्रता को वीर सावरकर ने अधूरी स्वतंत्रता माना और अपने जीवन में अन्तिम वर्षों तक अखण्ड भारत का स्वप्न देखते रहे। उनका यह उत्कट देश प्रेम भारतियों के लिए चिरकाल तक एक प्रेरणा स्त्रोत बना रहेगा।

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